जयराम ठाकुर 4 मार्च को पेश करेंगे हिमाचल का BUDGET, 51 साल में 80 से 50 हजार करोड़ पहुंचा बजट
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर अपनी सरकार के कार्यकाल का आखिरी और 5वां बजट 4 मार्च को सदन में पेश करेंगे. इससे पहले 3 मार्च को कैबिनेट में वित्त वर्ष 2022-23 के बजट को मंजूरी दिलाई जाएगी. सदन में बजट पेश करने के बाद इस पर चर्चा होगी और 15 मार्च को इसे सदन में पारित कराया जाएगा. संसद में दिसंबर 1970 को हिमाचल प्रदेश राज्य अधिनियम पास हुआ. इसके अनुसार 25 जनवरी 1971 को हिमाचल प्रदेश देश का 18वां राज्य बना.
पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने के बाद वित्त वर्ष 1971-72 के लिए 80.18 करोड़ रुपए का पहला बजट पेश किया गया. वित्त वर्ष 2021-22 में 50 वर्ष पूरा होने पर बजट बढ़कर 50,192 करोड़ हो गया है. मौजूदा सत्र में 2229.94 करोड़ का अनुपूरक बजट पास होने के बाद यह बढ़कर 52421.94 करोड़ हो गया है. ऐसे में आगामी वित्त वर्ष का वार्षिक बजट 55 हजार करोड़ तक हो सकता है.
किन्नौर विधायक जगत सिंह ने सदन में उठाया सवाल
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, मौजूदा वित्त वर्ष के लिए जयराम सरकार ने 50,192 करोड़ रुपए का बजट पारित किया था, लेकिन 2229.94 करोड़ रुपए राजस्व व्यय ज्यादा खर्च कर दिया गया है. किन्नौर के विधायक जगत सिंह ने सदन में इस पर सवाल उठाया. राजस्व व्यय ज्यादा और पूंजीगत व्यय कम है, और पूंजीगत व्यय से ही आधारभूत ढांचा बनता है. 2000 करोड़ रुपए की फिजूलखर्ची की गई. इसके बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इसे लेकर चालू सत्र में अनुपूरक बजट पारित करने का प्रस्ताव सदन में रखा.
हिमाचल पर 63,200 करोड़ का कर्ज
छोटा सा पहाड़ी राज्य हिमाचल करीब 63,200 करोड़ के कर्ज तले दबा हुआ है. आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपया होने की वजह से प्रदेश पर कर्ज का बोझ बढ़ता ही जा रहा है. मौजूदा सरकार ने ही अपने चार साल के कार्यकाल में लगभग 22000 करोड़ का ऋण लिया है. हालात इतने खराब हैं कि पुराना कर्ज चुकाने के लिए भी ऋण लेना पड़ रहा है.
हिमाचल को लग सकता है बड़ा झटका
हिमाचल प्रदेश को इस साल एक बड़ा झटका लगने वाला है. केंद्र सरकार जून 2022 में GST प्रतिपूर्ति राशि बंद करने वाली है, जो देश में GST लागू करने के बाद से केंद्र सरकार हर साल दे रही है. इससे हर साल कर्ज लेकर घी पीने वाले हिमाचल की मुश्किलें और बढ़ने वाली हैं. केंद्र से GST प्रतिपूर्ति राशि के तौर पर हर साल हिमाचल को तीन हजार से लगभग 3500 करोड़ रुपए मिलता रहा है। अब यह बंद होने वाला है.
नया वेतनमान देने से बढ़ सकती हैं मुश्किलें
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने दिसंबर 2021 में ही कर्मचारियों एवं पेंशनर को छठे वेतनमान के लाभ देने की घोषणा कर रखी है. नए पे-कमीशन के हिसाब से नया वेतनमान देने से सरकार पर 450 करोड़ रुपए अतिरिक्त का वित्तीय बोझ पड़ेगा. अतिरिक्त पेंशन अदायगी के भुगतान से सरकार पर 70 से 80 करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा. प्रदेश में लगभग सवा दो लाख कर्मचारी और डेढ़ लाख के करीब पेंशनर हैं. इन्हें 1 जनवरी 2016 से छठे वेतनमान और पेंशन के लाभ देय हैं. वर्तमान में लगभग 1100 करोड़ रुपए वेतन और लगभग 650 करोड़ रुपए सालाना पेंशन पर खर्च हो रहा है. नया वेतन देने के बाद पेंशन और वेतन का खर्च लगभग 2300 करोड़ रुपए सालाना हो जाएगा.
100 रुपए में से 25.31 वेतन पर हो रहा खर्च
राज्य सरकार की विभिन्न स्रतों से होने वाली इनकम और केंद्र से विभिन्न स्कीमों के तहत मिलने वाली राशि का 56 प्रतिशत से ज्यादा बजट वेतन, पेंशन, बैंकों का कर्ज लौटाने व ब्याज चुकता करने में ही खर्च हो रहा है. विभिन्न विकासात्मक कार्य के लिए लगभग 33 प्रतिशत बजट बच पाता है. आसान शब्दों में समझें तो वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान प्रत्येक 100 रुपए में से 25.31 रुपए वेतन, 14.11 रुपए पेंशन पर, 10 रुपए ब्याज, 6.64 रुपए कर्ज को चुकाने, 43.94 रुपए विकासात्मक कार्य और दूसरी गतिविधियों पर खर्च हो रहे हैं.
जानकारों की मानें तो नया वेतनमान देने के बाद विकास कार्य के लिए मुश्किल से 25 फीसदी बजट ही बच पाएगा। बजट-भाषण सरकार का बेहद गोपनीय दस्तावेज होता है. इसलिए बजट तैयार करते वक्त सभी विभागों को इसकी गोपनीयता बनाए रखने के लिए सख्त हिदायते दी जाती है. बजट की गोपनीयता बनाए रखने के मकसद से बजट की प्रिंटिंग निजी के बजाय सरकारी प्रेस में करवाई जाती है।