यूक्रेन में फंसी हिमाचल की बेटी सुरक्षित लौटी, बेटी को देख भावुक हुए माता-पिता
रूस-यूक्रेन में छिड़े युद्ध (Russia-Ukraine War) के बीच वहां शिक्षा हासिल करने गए विद्यार्थियों की घर वापसी का सिलसिला शुरू हो गया है. रविवार को उपमंडल गगरेट के नंगल जरियालां गांव की आकांक्षा की जैसे ही वतन वापसी हुई तो बेटी को सकुशल वापिस लौटता देख मां-बाप की आंखों से खुशी के आंसू छलक गए. आकांक्षा ने हंगरी के रास्ते होते हुए रविवार सुबह ही इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट दिल्ली में लैंड किया. अपने जिगर के टुकड़े के स्वागत के लिए मां-बाप पहले से एयरपोर्ट (Airport) के मुख्य द्वार पर नजरें टिकाए खड़े थे.
आकांक्षा जैसे ही मां-बाप के पास पहुंची तो दोनों तरफ से बह रही आंसुओं की गंगा के बीच आकांक्षा परिजनों से लिपट गई. आकांक्षा ने बताया कि उसके साथ 240 छात्र एक साथ फ्लाइट में आए हैं और उन्हें बिलकुल निशुल्क एयर लिफ्ट किया गया है. हालांकि इस फ्लाइट में आने वाली आकांक्षा अकेली हिमाचली विद्यार्थी है
आकांक्षा ने बताया कि वह यूक्रेन के उदरेस शहर में थी. हालांकि अभी तक जो हालात कीव में बने हैं वैसे हालात उदरेस में नहीं है. लेकिन भारतीय विद्यार्थियों में डर व दहशत का माहौल बना हुआ है. उन्हें यूनीवर्सिटी के होस्टल में ही रखा गया था और भारतीय दूतावास की और से तृतीय वर्ष के 240 विद्यर्थियों को भेजने की लिस्ट आने पर उन्हें उदरेस से सड़क मार्ग के माध्यम से पहले हंगरी ले जाया गया. वहां से फ्लाइट्स के माध्यम से उन्हें दिल्ली भेजा गया.
आकांक्षा ने बताया कि यूनीवर्सिटी की ओर से उन्हें ऑलाइन कक्षाएं लगाने को कहा गया है. आकांक्षा ने उन्हें फ्री एयर लिफ्ट करने के लिए केंद्र सरकार व प्रदेश सरकार का भी आभार प्रकट किया है. उन्होंने उम्मीद जताई है कि जल्द ही यूक्रेन में रह रहे भारतीय छात्र भी एयर लिफ्ट कर लिए जाएंगे. आकांक्षा ने बताया कि यूक्रेन में भारतीय दूतावास हर भारतीय का पता लगाकर उन्हें इवेक्युएट करने के सघन प्रयास कर रहा है.
आकांक्षा के पिता भारतीय सेना में पूर्व सैनिक रह चुके हैं. उन्होंने बताया कि बेटी का सुखद भविष्य हो इसलिए उन्होंने अपनी बेटी को एमबीबीएस करने के लिए यूक्रेन भेजा था. लेकिन रूस-यूक्रेन में छिड़े युद्ध के चलते उन्हें बेटी की चिंता तो थी. लेकिन केंद्र व प्रदेश सरकार पर पूरा भरोसा भी था कि अपने नागरिकों को सरकार जरूर सकुशल घर ले आएगी.